NEW STEP BY STEP MAP FOR BAGLAMUKHI SADHNA

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कल्प- द्रुमाधो हेम-शिलां प्रविलसच्चित्तोल्लसत्-कान्तिम् ।

Special great importance of Expert Diksha is to find out to abide by Vedic and Tantric regulations and to achieve from them by adopting them. The legislation with the holy initiation ceremony will be the purification of all sins and to remove the many problems.

‘यस्य बधार्थं क्रियते तं वृण्वन्नाच्छादयन् गच्छतीति वलगः।’

पीताम्बर-धरां सौम्यां, पीत-भूषण-भूषिताम् । स्वर्ण-सिंहासनस्थां च, मूले कल्प-तरोरधः ॥

मदिरामोद-वनां प्रवाल-सदृशाधराम् । पान-पात्रं च शुद्धिं च, विभ्रतीं बगलां स्मरेत् ।

नानाभरण-भूषाढ्यां, स्मरेऽहं बगला-मुखीम्।।

सिद्ध-विद्या महेशानि!, त्रिशक्तिर्बगला शिवे! । ।

“स्वतन्त्र तन्त्र’ में भगवान् शङ्कर, पार्वती जी से कहते हैं कि ‘हे देवि! श्रीबगला विद्या के आविर्भाव को कहता हूँ। पहले कृत-युग में सारे जगत् का नाश करनेवाला वात-क्षोभ (तूफान) उपस्थित हुआ। उसे देखकर जगत् की रक्षा में नियुक्त भगवान् विष्णु चिन्ता-परायण हुए। उन्होंने सौराष्ट्र get more info देश में ‘हरिद्रा सरोवर’ के समीप तपस्या कर श्रीमहा-त्रिपुर-सुन्दरी भगवती को प्रसन्न किया। श्री श्रीविद्या ने ही बगला-रूप से प्रकट होकर समस्त तूफान को निवृत्त किया। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी ब्रह्मास्त्र बगला महा-विद्या श्री श्रीविद्या एवं वैष्णव-तेज से युक्त हुई।

तन्नः बगला प्रचोदयात् करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अङ्ग-न्यास

षडङ्ग-न्यास : कर – न्यास  ॐ ह्लीं बह्मास्त्राय विह्महे अंगुष्ठाभ्यां नमः स्तम्भन-बाणाय धीमहि तर्जनीभ्यां नमः

‘दिवः विष्टम्भ:’ अर्थात् दिव-लोक का स्तम्भन करनेवाली।

‘अस्य सहसः ईशाना’ सारे जगत् पर जिसका शासन है, उन ‘विष्णु-पत्नी’ अर्थात् विष्णु की रक्षा करनेवाली, वृहस्पति, मात-रिश्वा और वायु-रूपवाली, ‘संध्वाना’ शब्द-तत्त्व का कारण, ‘वाता’ वात-क्षोभ को शान्त करनेवाली, ‘अभितो गृणन्तु’ हमें उभय-लोक में भुक्ति एवं मुक्ति अर्थात् ‘स्वर्गापवर्ग-प्रदे’ प्रदान वरनेवाली श्रीबगला विद्या को बताता है।

श्रीबगला को त्रि-शक्ति-रूप में माना गया है-

ऋषि श्रीदुर्वासा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

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